बेटियों की लाशों पर खड़ी उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ?

उत्तर प्रदेश में बेटियाँ मर रही हैं। कभी अस्मिता की रक्षा करते हुए, कभी भ्रष्ट व्यवस्था के हाथों, तो कभी उन्हीं संस्थानों से अपमानित होकर, जो उन्हें जीवन का रास्ता दिखाने के लिए बने थे। लेकिन सबसे दुखद बात यह है कि सरकार हिंदू-मुस्लिम कर रही है, प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है, और न्याय केवल किताबों में सिमटकर रह गया है।

 

रिया प्रजापति आत्महत्या: जब शिक्षा ही मौत की वजह बन जाए

 

14 साल की मासूम रिया, जिसने कभी सपने देखे थे कि पढ़-लिखकर अपने परिवार का सहारा बनेगी, उसे 800 रुपये की फीस के कारण स्कूल से अपमानित करके निकाल दिया गया। परीक्षा देने से रोका गया, पूरे स्कूल के सामने जलील किया गया, और जब वह घर लौटी तो इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सवाल यह है कि क्या गरीब की बेटी का पढ़ना अपराध है? क्या यह वही "बेटी पढ़ाओ" का नारा है, जो बीजेपी सरकार गर्व से लगाती है? अगर शिक्षा का अधिकार सबके लिए है, तो क्यों एक बच्ची को सिर्फ 800 रुपये के लिए मारना पडता है?

 

अंजली प्रजापति हत्या: पुलिस प्रशासन की लापरवाही या साजिश?

 

16 मार्च को अंजली गुमशुदा हुई। परिवार रोता रहा, गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन पुलिस ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। जब उसका शव गंगा नहर में मिला, तब भी पुलिस ने लीपापोती करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। तो वहीँ प्रतापगढ़ के रानीगंज में एक दलित बेटी की रेप करके हत्या कर दी जाती है। क्या बेटियों की जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है? जब तक अपराधी रसूखदार होते हैं, तब तक सरकार खामोश क्यों रहती है? यह कैसा रामराज्य है, जहाँ बेटियाँ हर दिन लाश में तब्दील हो रही हैं?

 

आशा प्रजापति बलात्कार और हत्या: किसे मिला न्याय?

 

लखनऊ में आशा प्रजापति के साथ दरिंदगी हुई, फिर उसकी हत्या कर दी गई। आरोपी को पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया। लेकिन सवाल यह उठता है क्या यही न्याय है? सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि अगर पीड़िता किसी और समुदाय की होती तो उसे मुआवजा मिलता, परिवार को सुरक्षा मिलती। लेकिन जब आशा प्रजापति मारी गई, तो सरकार को सांप क्यों सूंघ गया? क्या भाजपा का ये न्याय जातिवादी नहीं है?

 

भाजपा सरकार की नाकामी और बेटियों की बर्बादी 

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।

स्कूल अपमानित कर रहे हैं, पुलिस तमाशा देख रही है, और सरकार मुर्दे खोद रही है।

गरीब की बेटी शिक्षा नहीं पा सकती, अगर पढ़ने जाती है तो जलील की जाती है।

 अगर किसी की लाश मिलती है तो सत्ता उसे दबाने में जुट जाती है।

 न्याय भी अब जाति देखकर दिया जाता है।

 अब बस बहुत हुआ!

 

उत्तर प्रदेश की जनता को यह सोचना होगा कि क्या वे ऐसी सरकार को दोबारा चुनना चाहेंगे, जिसने उनकी बेटियों को न्याय देना तो दूर, उन्हें जिंदा रहने का भी हक नहीं दिया? भाजपा सरकार की नीतियाँ केवल झूठ और जुमलेबाजी हैं, लेकिन ज़मीन पर बेटियों की लाशें गवाही दे रही हैं कि यह सरकार सिर्फ नफरत, पाखण्ड और दिखावे की बुनियाद पर खड़ी है।

 

अब वक्त आ गया है कि जनता इस निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंके और PDA की सरकार बनाए, जो वास्तव में बेटियों को सुरक्षित रख सके, उनके सम्मान को बचा सके और उन्हें न्याय दिला सके। वरना अगली रिया, अगली अंजली, अगली आशा कौन होगी यह सोचकर ही दिल कांप जाता है।



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राम प्रकाश प्रजापति
 


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