मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव बना धांधली का पर्याय : रामप्रकाश प्रजापति
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में जो कुछ हुआ, वह भारतीय लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है। यह चुनाव नहीं बल्कि सत्ता की हनक, प्रशासनिक धांधली और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या का शर्मनाक उदाहरण था। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रहे वीडियो इस धांधली के पुख्ता प्रमाण हैं, लेकिन सत्ता पक्ष और प्रशासन का रवैया इन वीडियो को नजरअंदाज करने का है, जो पूरी प्रक्रिया को संदेहास्पद बना देता है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में राय पट्टी अमानीगंज में फ़र्ज़ी वोट डालने की बात अपने मुँह से कहनेवाले ने साफ़ कर दिया है कि भाजपा सरकार में अधिकारी किस तरह से धांधली में लिप्त है। निर्वाचन आयोग को और कोई सबूत चाहिए क्या? @ECISVEEP @Uppolice pic.twitter.com/elS5sqtej9
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 5, 2025
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और स्थानीय मतदाताओं द्वारा बार-बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद, प्रशासन ने आंखें मूंद लीं। पुलिस-प्रशासन ने सत्ता पक्ष के इशारे पर काम किया और विपक्षी समर्थकों को डराने-धमकाने से लेकर फर्जी मतदान कराने तक, हर प्रकार की अनैतिक रणनीति अपनाई गई। स्थानीय प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल इसलिए उठता है क्योंकि एसडीएम ने खुद चुनाव आयोग से बूथ कैप्चरिंग की शिकायत की, लेकिन इसके बावजूद धांधली को रोका नहीं गया। यह इस बात का प्रमाण है कि पूरा प्रशासनिक तंत्र सत्ताधारी दल के पक्ष में काम कर रहा था।
ये है पीठासीन अधिकारियों की सच्चाई का स्टिंग ऑपरेशन जो सत्ताधारी के लिए फ़र्ज़ी मतदान का टार्गेट पूरा कर रहे हैं। इनके बूथों पर तुरंत चुनाव रद्द किया जाए और इन्हें प्रथमदृष्ट्या आडियो सबूतों के आधार पर निलंबित किया जाए और फिर उचित न्यायिक कार्रवाई के बाद बर्खास्त भी। अधिकारियों… pic.twitter.com/mkN25hgu9Z
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 5, 2025
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मतदाताओं को मतदान केंद्रों से बाहर निकालकर, बाहरी लोगों को बुलाकर फर्जी मतदान करवाया गया। चुनावी प्रक्रिया में इस तरह की धांधली लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत है। अगर जनता के वोट की रक्षा नहीं की जा सकती, तो चुनाव कराने का औचित्य ही क्या रह जाता है? क्या यह सत्ता पक्ष की हार का भय था, जिसने उन्हें इस स्तर तक गिरने के लिए मजबूर कर दिया?
बाबा, थोड़ा तो शर्म करिए! जनता सब देख रही है!”
— Pankaj Rajbhar (@Pankaja2y) February 5, 2025
वीडियो में खुद कबूल रहे हैं कि 6 वोट डाले, लेकिन प्रशासन कह रहा है “कोई साक्ष्य नहीं मिला!”
पुलिस कार्रवाई करने के बजाय धांधली पर पर्दा डाल रही है और सफ़ाई दिलवा रही है।
क्या यही लोकतंत्र है? क्या चुनाव आयोग भी अंधा-बहरा बन गया है?… pic.twitter.com/BgJjbdCiOQ
इस बीच, एक वायरल वीडियो ने चुनावी धांधली के आरोपों को और मजबूत कर दिया है। इस वीडियो में एक बुजुर्ग व्यक्ति यह स्वीकार करता दिख रहा है कि उसने भाजपा के पक्ष में छह वोट डाले। यह वीडियो स्पष्ट रूप से बताता है कि किस तरह से सत्ता पक्ष ने संगठित रूप से चुनाव को प्रभावित किया और जनता के निर्णय को कुचलने का प्रयास किया। यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि सुनियोजित चुनावी लूट का प्रमाण है।
मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में पुलिस कहर बरपा रही है।
— I.P. Singh (@IPSinghSp) February 5, 2025
एक एक थानाध्यक्ष किस तरह से खुलेआम धमकी दे रहे हैं मिट्टी में मिला रहे हैं।
पीछे से CM की ताकत बोल रही है नहीं तो ये एक मक्खी नहीं मार सकता।
चुनाव आयोग में सपा ने ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई फिर भी उन्हें नहीं… pic.twitter.com/5VipQ80zSF
इसके अतिरिक्त, एक और वायरल ऑडियो क्लिप ने प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस ऑडियो में थाना प्रभारी (SO) देवेन्द्र पांडे समाजसेवी प्रदीप यादव को भद्दी गालियाँ देते हुए और धमकी भरे लहजे में "खोदकर गाड़ने" की बात करते सुने गए। यह दर्शाता है कि किस प्रकार प्रशासनिक अधिकारी खुलेआम सत्ता पक्ष के इशारे पर विपक्षी कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दबाने और डराने का काम कर रहे हैं। इस तरह की भाषा और धमकियां लोकतंत्र के लिए घातक हैं और प्रशासन की निष्पक्षता पर गहरा संदेह पैदा करती हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा में बूथ संख्या 132 कलंदरपुर में विकास मिश्रा प्रधान भगवान दास भाजपा कार्यकर्ता यह लोग सपा मतदाताओं को मारपीट रहे हैं और बूथ कैप्चर कर रहे हैं।
— Anees Raja انیس راجا (@aneesrajasp) February 5, 2025
कृपया तत्काल संज्ञान लें चुनाव आयोग।@yadavakhilesh @samajwadiparty @ECISVEEP @dmayodhya pic.twitter.com/ETrFmXazjm
मिल्कीपुर की घटना यह भी दिखाती है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता अब केवल कागजों तक सीमित रह गई है। जब खुलेआम चुनाव लूटे जा रहे हैं और सत्ताधारी दल के इशारे पर प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है, तो निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव का दावा बेमानी हो जाता है। यह केवल मिल्कीपुर की बात नहीं है, बल्कि संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है।
इलेक्शन के दिन रैली का माहौल बनाया गया है मिल्कीपुर में...
— Amit Yadav (Journalist) (@amityadavbharat) February 5, 2025
लगता है @ECISVEEP साहब सो गए हैं..@samajwadiparty @MediaCellSP @BJP4UP @Uppolice #Milkipurbyelection #Milkipur #milkipurbyelection2025 pic.twitter.com/krP5I2WhG4
हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस धांधली को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग को इस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आने वाले चुनावों में मतदाताओं का लोकतंत्र से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा। आज मिल्कीपुर में हुई धांधली को नजरअंदाज किया गया, तो कल किसी और विधानसभा में यह दोहराई जाएगी।
यह समय है कि जनता और विपक्षी दल मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। लोकतंत्र की रक्षा केवल चुनाव लड़ने से नहीं होगी, बल्कि जनता को भी यह समझना होगा कि अगर आज उनका वोट लूटा जा रहा है, तो कल उनका पूरा अधिकार छीना जा सकता है। मिल्कीपुर उपचुनाव एक चेतावनी है कि अगर अब भी इस धांधली के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी गई, तो भविष्य में निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद करना बेकार होगा।
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राम प्रकाश प्रजापति |
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